जानिए भगवान किन लोगों पर कृपा करते हैं
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भगवान की कृपा अपार और अनंत है। संसार में हर जीव पर भगवान की कृपा है, परंतु शास्त्रों और संत महापुरुषों ने स्पष्ट बताया है कि भगवान की विशेष कृपा केवल उन भक्तों और साधकों पर होती है जो कुछ विशेष गुणों, आचरण और भावनाओं को धारण करते हैं। वास्तव में, कृपा वही अदृश्य शक्ति है जो इंसान को विपत्तियों से बचाती है, साधारण जीवन को असाधारण बना देती है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि भगवान किन-किन लोगों पर अपनी विशेष कृपा करते हैं।
1. सच्चे भक्तों पर
भगवान सदैव सच्चे भक्तों पर प्रसन्न रहते हैं। भक्त वह है जो अपने जीवन के हर कार्य में ईश्वर को याद करता है। चाहे सुख हो या दुख, वह भगवान का नाम नहीं छोड़ता।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है: “जो भक्त एकनिष्ठ भाव से मेरा भजन करता है, उस पर मैं विशेष कृपा करता हूँ।”
सच्चे भक्त के जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, वह अपने प्रभु पर भरोसा बनाए रखता है। इस विश्वास को देखकर भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं।
2. निष्काम भाव वाले लोगों पर
भगवान उन्हीं पर कृपा करते हैं जो बिना स्वार्थ के भक्ति करते हैं।
बहुत लोग पूजा-पाठ केवल धन, सुख, पद या यश पाने के लिए करते हैं, परंतु भगवान की सच्ची कृपा उन पर होती है जो कुछ माँगे बिना भक्ति करते हैं।
संत कबीर ने कहा है:
“साईं इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय॥”
निष्काम भाव से किया गया नामस्मरण और सेवा ही भगवान तक पहुँचती है।
3. सत्य और धर्म का पालन करने वालों पर
जो व्यक्ति सदैव सत्य बोलता है और धर्म का पालन करता है, भगवान उस पर विशेष प्रसन्न होते हैं।
झूठ, कपट और छल से भगवान दूर हो जाते हैं।
रामचरितमानस में तुलसीदासजी ने भी कहा है कि “सत्य और धर्म भगवान का स्वरूप है।”
ऐसे लोग जिनका आचरण पवित्र और ईमानदार होता है, वे भगवान की कृपा से कभी विपत्ति में नष्ट नहीं होते।
4. नम्र और विनम्र लोगों पर
अहंकार भगवान को सबसे अधिक अप्रिय है।
जो व्यक्ति अहंकार त्यागकर नम्रता और दीनता से भगवान का नाम लेता है, उस पर भगवान शीघ्र कृपा करते हैं।
भक्त प्रह्लाद इसका सर्वोत्तम उदाहरण हैं। उन्होंने अपने पिता हिरण्यकशिपु के अहंकार का विरोध किया और नम्र भाव से भगवान का स्मरण किया, फलस्वरूप भगवान नरसिंह अवतार में प्रकट हुए।
5. सेवा और दया करने वालों पर
भगवान की कृपा पाने का सबसे सरल मार्ग है – सेवा और दया।
जो लोग दूसरों की पीड़ा समझते हैं, भूखों को भोजन कराते हैं, प्यासों को पानी पिलाते हैं और दुखियों के आँसू पोंछते हैं, उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है।
“परहित सरिस धरम नहि भाई, परपीड़ा सम नहि अधमाई।” (रामचरितमानस)
दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य से भगवान प्रसन्न होते है।
6. संतोषी और कृतज्ञ लोगों पर
जो व्यक्ति जो मिला उसी में संतोष करता है और भगवान का आभार मानता है, भगवान उस पर प्रसन्न रहते हैं।
असंतोषी मनुष्य कभी सुखी नहीं हो सकता।
भगवान की कृपा वही अनुभव कर सकता है जो छोटा हो या बड़ा, हर उपहार को प्रभु का आशीर्वाद मानकर स्वीकार करता है।
7. गुरु की शरण में रहने वालों पर
भगवान की कृपा पाने के लिए गुरु की शरण लेना आवश्यक है।
गुरु वह सेतु है जो जीवात्मा को परमात्मा तक पहुँचाता है।
जो व्यक्ति अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता है और उनके बताए मार्ग पर चलता है, उस पर भगवान की कृपा अपने आप बरसती है।
8. भक्ति मार्ग अपनाने वालों पर
ज्ञान, योग और कर्म – ये सब मार्ग हैं, परंतु भक्ति मार्ग सबसे सरल और शीघ्र है।
गीता में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा है:
“भक्त्या मामभिजानाति, यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।”
अर्थात, “मुझे केवल भक्ति से ही जाना जा सकता है।”
इसलिए जो लोग भक्ति मार्ग को अपनाते हैं, उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है।
9. क्षमाशील लोगों पर
जो व्यक्ति दूसरों की गलती को माफ कर देता है और द्वेष नहीं रखता, भगवान उससे प्रसन्न रहते हैं।
क्षमा का भाव आत्मा को शुद्ध करता है और यह गुण केवल उसी में आता है जो हृदय से बड़ा होता है।
ऐसे क्षमाशील भक्तों पर भगवान की कृपा निरंतर बनी रहती है।
10. ध्यान और साधना करने वालों पर
भगवान उन पर भी कृपा करते हैं जो मन को स्थिर करके ध्यान, जप और साधना करते हैं।
जो भक्त रोज थोड़ी देर ध्यान में बैठकर भगवान का स्मरण करता है, उसके जीवन से भय, क्रोध और चिंता समाप्त हो जाती है।
ध्यान से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान की कृपा सहज ही मिलती है।
11. संकट में भी ईश्वर को याद करने वालों पर
बहुत से लोग सुख में तो ईश्वर को भूल जाते हैं, लेकिन दुख में याद करते हैं। परंतु जो लोग हर स्थिति में भगवान का स्मरण करते हैं, उनके संकट स्वतः कट जाते हैं।
पांडवों ने अपने जीवन में अनेक संकट झेले, लेकिन हर बार भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा की।
संकट के समय ईश्वर का नाम लेने वाला भक्त कभी नष्ट नहीं होता।
12. दानशील और परोपकारी लोगों पर
दान और परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं है।
जो लोग दान करते हैं – चाहे धन, वस्त्र, अन्न या शिक्षा का – उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है।
“अन्नदानं परं दानं।” शास्त्रों में कहा गया है कि अन्नदान सबसे बड़ा दान है।
13. निर्मल हृदय वाले लोगों पर
भगवान निर्मल हृदय वाले भक्तों में ही निवास करते हैं।
छल, कपट, ईर्ष्या और द्वेष से रहित मन ही भगवान की कृपा का पात्र बनता है।
संत मीरा और सूरदास जैसे भक्तों का जीवन इसका प्रमाण है।
भगवान की कृपा पाना कठिन नहीं है, बस मनुष्य को अपने भीतर सच्चाई, नम्रता, करुणा और भक्ति जैसे गुणों को विकसित करना होगा।
सच्चे भक्त, निष्काम भाव से पूजा करने वाले, सत्यनिष्ठ, दयालु, क्षमाशील और संतोषी व्यक्ति पर भगवान स्वयं कृपा बरसाते हैं।
भगवान का प्रेम सबके लिए समान है, परंतु उनकी विशेष कृपा उन्हीं पर होती है जो अपने जीवन में धर्म, भक्ति और सेवा का मार्ग अपनाते हैं।
इसलिए यदि आप भी भगवान की कृपा पाना चाहते हैं तो हमेशा प्रभु का नाम स्मरण करें, दूसरों की सेवा करें, सत्य और धर्म का पालन करें और अपने मन को निर्मल बनाएँ।

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