श्री राम नाम की महिमा

          
                        
    
        आइए जानते हैं श्री राम नाम की महिमा के बारे में 
भारतीय संस्कृति में नाम जप और स्मरण की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। हमारे शास्त्रों और संत महात्माओं ने समय-समय पर यह सिद्ध किया है कि ईश्वर का स्मरण ही मनुष्य को सांसारिक दुखों और मोह-माया से पार लगाने वाला सर्वोत्तम साधन है। विशेष रूप से “राम नाम” को कलियुग का सबसे सरल, सुलभ और प्रभावशाली उपाय बताया गया है।
गोसाईं तुलसीदास जी ने रामचरितमानस और विनय पत्रिका जैसे ग्रंथों में अनेक बार यह प्रतिपादित किया कि राम नाम स्वयं भगवान श्रीराम का स्वरूप है। वे कहते हैं –

"राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजियार॥"

अर्थात यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो, तो अपनी जिह्वा के द्वार पर राम नाम रूपी दीपक रखो।

1. राम नाम का महत्व


भगवान श्रीराम, भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उनका नाम स्वयं में ही असीम शक्ति, करुणा और कृपा से भरा हुआ है।

पवित्रता – राम नाम का स्मरण करते ही हृदय शुद्ध होता है और मन में सात्विक भाव जागृत होते हैं।

साहस और बल – संकट की घड़ी में यह नाम आत्मबल प्रदान करता है।

शांति और आनंद – मानसिक अशांति और तनाव के समय राम नाम जप करने से मन को शांति मिलती है।

मुक्ति का साधन – यह जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला है।

2. राम नाम और कलियुग


धर्मग्रंथों के अनुसार चारों युगों में ईश्वर की प्राप्ति के अलग-अलग साधन बताए गए हैं –

सत्ययुग में तप,

त्रेतायुग में यज्ञ,

द्वापरयुग में पूजा

और कलियुग में केवल नामस्मरण।

इसलिए कहा गया है 


"कलौ केवल नामाधारम्"

अर्थात कलियुग में केवल भगवान का नाम ही आधार है

इन सब नामों में सबसे सरल, मधुर और मंगलकारी नाम है – "राम"। यही कारण है कि साधारण व्यक्ति भी राम नाम लेकर ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है

3. राम नाम का प्रभाव


राम नाम का प्रभाव केवल साधक तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वातावरण पर भी शुभ असर डालता है।

जिस घर में राम नाम का जप होता है, वहाँ सदैव सुख-शांति और सौहार्द्र बना रहता है।

यह नाम रोग, भय और पाप का नाश करता है।

मनुष्य के भीतर धैर्य, संतोष और सद्भाव का विकास करता है।

यह आत्मा को परमात्मा से जोड़कर जीवन को सार्थक बना देता है।

4. संत महात्माओं का अनुभव


भारत के महान संतों ने राम नाम की महिमा को अपने अनुभव से बताया है।

तुलसीदास जी ने कहा – “राम नाम रस पीजै, मनवा अमृत सरिस मीठा।”

कबीरदास जी कहते हैं – “राम नाम उर मंह बसै, जग फंदन ते छुटै।”

हनुमान जी की शक्ति और भक्ति का रहस्य भी राम नाम ही है।

संत स्वामी रामानंद और अनेक भक्तों ने इसे जीवन का सार बताया है।

यह स्पष्ट है कि राम नाम केवल उपदेश मात्र नहीं, बल्कि अनुभूत सत्य है।

5. राम नाम और मुक्ति


धर्मग्रंथों में कहा गया है कि मृत्यु के समय यदि मनुष्य की जिह्वा पर भगवान का नाम आ जाए, तो वह निश्चय ही मोक्ष को प्राप्त होता है।

राम नाम कोई साधारण ध्वनि नहीं, बल्कि यह दिव्य मंत्र है।

यह संसार रूपी महासागर को पार कराने वाली नौका है।

यह जीव को सीधे ईश्वर से जोड़ देता है।

इसलिए कहा गया है –

"राम नाम बिनु हरे न दुखा, नहिं अन्य उपाय सुख सुखा।"

6. राम नाम जप की विधि


राम नाम जप करना जितना सरल है, उतना ही प्रभावशाली भी है।

1. नियमित समय – सुबह और शाम शांत मन से राम नाम का जाप करना श्रेष्ठ है

2. माला के साथ – तुलसी या रुद्राक्ष माला लेकर नियमित जप करना।

3. बिना माला के – चलते-फिरते, काम करते या मन ही मन स्मरण करना।

4. भक्ति भाव – नाम जप केवल उच्चारण न होकर श्रद्धा और विश्वास से होना चाहिए।

निरंतर अभ्यास से यह नाम मन में रच-बस जाता है और साधक स्वतः इसका लाभ लेने लगता है।

7.जीवन में राम नाम की आवश्यकता


आज के समय में मनुष्य तनाव, चिंता और भौतिक दौड़-भाग में घिरा हुआ है। ऐसे में राम नाम ही वह अमृत है जो –

मानसिक तनाव को दूर करता है।

जीवन में संतुलन और शांति लाता है।

आपसी संबंधों में मधुरता स्थापित करता है।

कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है
श्री राम नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि यह अनंत शक्ति और दिव्य चेतना का स्रोत है। यह नाम मनुष्य के जीवन को रूपांतरित कर सकता है, पापों का नाश कर सकता है और आत्मा को परम शांति प्रदान कर सकता है।



जो मनुष्य नित्य “श्रीराम, श्रीराम” का जप करता है, वह न केवल इस संसार में सुख और शांति प्राप्त करता है, बल्कि मृत्यु के बाद परमगति को भी प्राप्त करता है।

 में भोले बाबा राम की प्रभाव सभी को मुक्ति प्रदान करते है। स्वयं राम नाम निरन्तर जप करते हैं इस कलयुग अनेक महान् सन्त भक्तो ने श्री राम नाम के कृपा से भगवान् के दर्शन किए इस लिए आप सभी लोग जरूर राम नाम जप करिए और जीवन को सफल बनाए                                     जय श्रीराम
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