सनातन संस्कृति: धर्म ग्रंथों एवं वेदों का सम्पूर्ण इतिहास और रहस्य
सनातन संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति माना जाता है। “सनातन” का अर्थ है – अनादि और अनंत। अर्थात यह संस्कृति न कभी आरंभ हुई और न कभी समाप्त होगी। भारतीय जीवन दर्शन, वेद, उपनिषद, पुराण, महाकाव्य, स्मृतियाँ और विभिन्न शास्त्र मिलकर इस संस्कृति को जीवन्त बनाते हैं। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की संपूर्ण पद्धति है, जो मानव को सत्य, अहिंसा, धर्म, योग, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती है।
वेदों का इतिहास और महत्व
चार वेद
1. ऋग्वेद – इसमें देवताओं की स्तुति, यज्ञ विधि और ईश्वर के स्वरूप का वर्णन है।
2. यजुर्वेद – इसमें यज्ञ-याग और कर्मकांड की विस्तृत जानकारी दी गई है।
3. सामवेद – यह संगीत और स्वर का मूल माना जाता है, इसमें मंत्रों को गाने की विधि बताई गई है।
4. अथर्ववेद – इसमें आयुर्वेद, चिकित्सा, ज्योतिष और रहस्यमयी विज्ञान का ज्ञान है।
वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि विज्ञान, गणित, खगोल, चिकित्सा, दर्शन और समाज व्यवस्था का शाश्वत भंडार हैं।
उपनिषद और दर्शन
उपनिषद वेदों का ही गूढ़ और दार्शनिक रूप हैं। इनमें आत्मा और परमात्मा का रहस्य समझाया गया है। “तत्वमसि” और “अहम् ब्रह्मास्मि” जैसे महावाक्य बताते हैं कि जीव और ब्रह्म एक ही तत्व के विभिन्न रूप हैं।
इनसे ही भारतीय दर्शन की छह प्रमुख शाखाएँ उत्पन्न हुईं –
1.सांख्य
2.योग
3.न्याय
4.वैशेषिक
5.मीमांसा
6.वेदांत
महाकाव्य और इतिहास
1. रामायण – यह भगवान राम के जीवन और आदर्शों का महाकाव्य है। यह बताता है कि धर्म की स्थापना के लिए त्याग, मर्यादा और करुणा कितनी आवश्यक है।
2. महाभारत – यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसमें कुरुक्षेत्र युद्ध, धर्म-अधर्म का संघर्ष और जीवन के गहन सिद्धांत बताए गए हैं।
भगवद्गीता – महाभारत का ही हिस्सा है। इसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्ति योग का उपदेश दिया, जो आज भी मानव जीवन का मार्गदर्शन करता है।
पुराण और स्मृतियाँ
18 पुराण और अनेक उपपुराणों में सृष्टि की रचना, अवतारों की कथाएँ, लोककथाएँ और धर्मशिक्षा मिलती है।
1. ब्रह्म पुराण
इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, भूगोल, तीर्थों का वर्णन और भगवान ब्रह्मा की महिमा बताई गई है।
2. पद्म पुराण
इसमें भगवान विष्णु की भक्ति, पवित्र स्थलों (तीर्थों) का महत्व और विभिन्न व्रतों का वर्णन है।
3. विष्णु पुराण
इसमें भगवान विष्णु की महिमा, सृष्टि की उत्पत्ति, वंशावली और अवतारों का विस्तृत वर्णन है।
4. शिव पुराण
इसमें भगवान शिव के अवतार, लीलाएँ, शिवलिंग महिमा और भक्तों की कथाएँ हैं।
5. भागवत पुराण
यह सबसे प्रसिद्ध पुराण है। इसमें श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ, अवतारों का वर्णन और भक्ति योग की महिमा है।
6. नारद पुराण
इसमें भक्ति, तपस्या, व्रत और नारद मुनि द्वारा बताए गए धर्म और अध्यात्म का ज्ञान है।
7. मार्कण्डेय पुराण
इसमें देवियों की महिमा और दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ) शामिल है।
8. अग्नि पुराण
इसमें धर्म, राजनीति, युद्धकला, वास्तु, आयुर्वेद और ज्योतिष का ज्ञान है।
9. भविष्य पुराण
जैसा नाम है, इसमें आने वाले समय (भविष्य) की घटनाओं का वर्णन है।
10. ब्रह्मवैवर्त पुराण
इसमें राधा-कृष्ण की महिमा, सृष्टि और भक्ति की शक्ति का वर्णन है।
11. लिंग पुराण
इसमें शिवलिंग की महिमा, पूजा पद्धति और भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन है।
12. वराह पुराण
इसमें भगवान विष्णु के वराह अवतार की कथा और तीर्थ महात्म्य का वर्णन है।
13. स्कन्द पुराण
यह सबसे बड़ा पुराण है। इसमें तीर्थयात्रा, व्रत, शिव और पार्वती की कथाएँ, तथा कार्तिकेय (स्कन्द) की महिमा है।
14. वामन पुराण
इसमें भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा और धर्म का महत्व है।
15. कूर्म (कूर्म) पुराण
इसमें भगवान विष्णु के कच्छप (कूर्म) अवतार की कथा और धर्मशास्त्र का ज्ञान है।
16. मत्स्य पुराण
इसमें भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार और प्रलयकाल की कथा का वर्णन है।
17. गरुड़ पुराण
इसमें जीवन, मृत्यु और परलोक का विस्तृत वर्णन है। प्रेत, यमलोक और मोक्ष की बातें इसमें बताई गई हैं।
18. ब्रह्माण्ड पुराण
इसमें सृष्टि, ब्रह्माण्ड का विस्तार और कालचक्र (समय चक्र) का ज्ञान है।
इन १८ पुराणों में धर्म, अध्यात्म, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग और भक्ति – सबका ज्ञान मिलता है।
सनातन संस्कृति की विशेषताएँ
1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण – आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, वास्तु, गणित और खगोल विद्या का उद्गम यहीं से हुआ।
2. आध्यात्मिकता – यह संस्कृति आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से मिलन पर बल देती है।
3. भक्ति परंपरा – भक्ति ही ईश्वर तक पहुँचने का सबसे सरल मार्ग बताया गया है।
4. योग और ध्यान – शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का अद्वितीय साधन।
5. सहिष्णुता और एकता – “वसुधैव कुटुम्बकम्” इसका मूल मंत्र है, अर्थात पूरा संसार एक परिवार है।
रहस्य और गूढ़ बातें
वेदों में छिपा खगोल विज्ञान आज भी शोध का विषय है।
नक्षत्रों, ग्रहों और ऋतुओं का ज्ञान हजारों वर्ष पूर्व उपलब्ध था।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति, आज की एलोपैथी से कहीं अधिक प्राचीन और प्राकृतिक है।
योग और प्राणायाम न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि आत्मा को भी पवित्र बनाते हैं।
आधुनिक युग में महत्व
आज भौतिकता के युग में मनुष्य तनाव, रोग और अशांति से जूझ रहा है। ऐसे समय में सनातन संस्कृति ही जीवन को शांति, संतुलन और दिशा दे सकती है।
योग और ध्यान को विश्वभर में अपनाया जा रहा है।
गीता का उपदेश प्रबंधन, जीवन कौशल और सफलता का आधार माना जाता है।
वेदों की पर्यावरणीय शिक्षा आज भी प्रासंगिक है, जिसमें प्रकृति को पूजनीय बताया गया है।
सनातन संस्कृति केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य का मार्ग भी है। वेद, उपनिषद, महाकाव्य और पुराण हमें बताते हैं कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के प्रत्येक कर्म में धर्म होना चाहिए।
इसका रहस्य यही है कि यह संस्कृति कभी समाप्त नहीं हो सकती। जब तक आत्मा और परमात्मा का संबंध है, तब तक सनातन धर्म और उसकी शिक्षाएँ जीवित रहेंगी।
जय श्रीराम
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