कार्तिक मास में क्या करें और क्या न करें — सम्पूर्ण जानकारी


                       आप सभी को राधे राधे 

कार्तिक मास हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का सबसे पवित्र और शुभ महीना माना जाता है। यह मास अश्विन पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस दौरान सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कार्तिक नक्षत्र में रहता है। शास्त्रों में कहा गया है कि “सर्वमासेषु कार्तिकः श्रेष्ठः” — अर्थात सभी महीनों में कार्तिक सबसे श्रेष्ठ है।

यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और कर्म के दृष्टिकोण से भी अत्यंत फलदायी माना गया है।

 कार्तिक मास का महत्व

कार्तिक मास को भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का विशेष प्रिय मास कहा गया है। इस महीने में स्नान, दान, दीपदान और व्रत का अत्यंत पुण्य मिलता है।

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में प्रभात काल में स्नान, दीपदान और हरिनाम संकीर्तन करता है, वह अनेक जन्मों के पापों से मुक्त होकर परम धाम को प्राप्त करता है।


श्रीमद्भागवत, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में कार्तिक मास की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गोपियों को कार्तिक मास में दीपदान और व्रत करने का उपदेश दिया था। इसलिए इस महीने को “दान और भक्ति का महीना” भी कहा जाता है।

 कार्तिक मास में क्या करें (सद्कर्म और नियम)

कार्तिक मास में किए गए पुण्य कर्मों का फल अन्य महीनों की तुलना में अनेक गुना अधिक मिलता है। आइए जानते हैं इस माह में क्या करना चाहिए:

1. प्रातःकाल स्नान और पूजा

कार्तिक मास में ब्रहममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में उठकर गंगा जल या स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद भगवान विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण या शालिग्राम की पूजा करें।

शास्त्र कहते हैं —

> “कार्तिके स्नानमात्रेण सर्वपापैः प्रमुच्यते।”

अर्थात, कार्तिक मास में स्नान करने से ही मनुष्य सारे पापों से मुक्त हो जाता है।

2. दीपदान का विशेष महत्व

हर शाम तुलसी के पास, मंदिर में, नदी तट पर या घर के आंगन में दीप जलाना चाहिए।

दीपदान से अंधकार मिटता है, और मन में ज्ञान और भक्ति का प्रकाश फैलता है।

विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा की रात को दीपदान करना अत्यंत शुभ होता है।

3. तुलसी पूजन और सेवा

तुलसी माता को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माना गया है।

कार्तिक मास में तुलसी के पास दीप जलाना, जल देना और तुलसी विवाह में भाग लेना बहुत पुण्यदायी होता है।

4. हरिनाम संकीर्तन और जप

इस महीने में “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे” या “श्रीराम जय राम जय जय राम” नाम का जप करना चाहिए।

नाम जप से मन शुद्ध होता है और ईश्वर की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

5. दान और सेवा

कार्तिक मास में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, दीपक, तेल, गाय, सोना या अन्य उपयोगी वस्तुएँ दान करना श्रेष्ठ माना गया है।

दान करने से धन, सौभाग्य और पापों से मुक्ति मिलती है।

6. व्रत और उपवास

इस मास में सोमवार, एकादशी, प्रदोष और पूर्णिमा के दिन व्रत रखना विशेष फलदायी है।

जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

7. गंगा स्नान और तीर्थयात्रा

यदि संभव हो तो कार्तिक स्नान के लिए गंगा, यमुना, सरयू या गोदावरी जैसे पवित्र नदियों में स्नान करें।

यह संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें — वही फल प्राप्त होता है।

8. भजन, कीर्तन और कथा श्रवण

इस महीने में सत्संग, भागवत कथा, रामायण, गीता या पुराणों का श्रवण करना चाहिए।

जो व्यक्ति कार्तिक मास में ईश्वर कथा सुनता है, वह भवसागर से पार हो जाता है।

कार्तिक मास में क्या न करें (निषेध और सावधानियाँ)

जैसे इस माह में कुछ कार्य करने से पुण्य मिलता है, वैसे ही कुछ गलत आचरण करने से फल नष्ट हो जाता है। इसलिए इन बातों से विशेष रूप से बचना चाहिए:

1. मांस, मदिरा और नशा

कार्तिक मास में मांस, मछली, अंडा, शराब, तम्बाकू आदि का सेवन पूर्णतः वर्जित है।

ऐसे पदार्थों से शरीर और मन दोनों दूषित होते हैं।

2. प्याज और लहसुन का सेवन

सात्त्विकता बनाए रखने के लिए इस महीने में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।

इनसे मन में काम, क्रोध और आलस्य की वृद्धि होती है।

3. भोग-विलास और कामविकार

कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

शास्त्र कहते हैं कि इस महीने में कामविकार में लिप्त होना पुण्य को नष्ट कर देता है।

4. क्रोध, झूठ और चुगली

इस मास में मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना आवश्यक है।

क्रोध, झूठ बोलना, चुगली करना, और किसी का दिल दुखाना — इनसे बचना चाहिए।

5. रात में झाड़ू-पोंछा या बाल काटना

कार्तिक मास में रात्रि के समय झाड़ू लगाना या बाल/नाखून काटना अशुभ माना जाता है।

6. अधिक नींद और आलस्य

भोर में देर तक सोना, पूजा न करना या ध्यान न लगाना इस महीने का अपमान है।

इस काल में जितना संभव हो उतना भक्ति, दान और साधना में समय दें।

7. अपवित्र वस्त्र या गंदगी

शरीर और वस्त्र दोनों को स्वच्छ रखना चाहिए।

मंदिर, तुलसी या देवालय में अशुद्ध वस्त्र पहनकर न जाएँ।

विशेष पर्व और अवसर

कार्तिक मास में अनेक प्रमुख त्यौहार और पर्व आते हैं:

एकादशी (प्रभोधिनी एकादशी) — भगवान विष्णु के शयन से जागरण का दिन।

दीपावली और गोवर्धन पूजा — भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति।

तुलसी विवाह — कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी विवाह किया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा — इस दिन स्नान, दान, दीपदान और व्रत का अनंत फल मिलता है।

कार्तिक मास का आध्यात्मिक पक्ष 

आध्यात्मिक दृष्टि से यह “मन और आत्मा की शुद्धि” का काल है।

यह महीना आत्म-नियंत्रण, भक्ति और दया की भावना विकसित करने का अवसर देता है।

सारांश

कार्तिक मास वह समय है जब ईश्वर की कृपा सबसे सहजता से प्राप्त होती है।

जो व्यक्ति इस महीने में नियमपूर्वक स्नान, जप, दान और दीपदान करता है —

वह जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष सब कुछ प्राप्त करता है।

कार्तिक मासे कृतं सर्वं, शतगुणं फलदं भवेत्।”

अर्थात, कार्तिक मास में किया गया कोई भी शुभ कार्य सौ गुना फल देता है।

उपसंहार

प्रिय भक्तजनों,

यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन पवित्रता, शांति और समृद्धि से भरा हो,

तो कार्तिक मास में इन नियमों का पालन अवश्य करें।

छोटे-छोटे कर्म जैसे दीप जलाना, हरिनाम जपना और दान करना

आपके जीवन को ईश्वर की कृपा से आलोकित कर देंगे।

हरि नाम स्मरण करें, दीप जलाएँ, तुलसी पूजें और कार्तिक मास का सम्मान करें।

यही सच्चा धर्म और शुद्ध जीवन का मार्ग है। 🙏

Blogger द्वारा संचालित.