मन में बुरे विचार आते हैं? जानिए कारण, प्रभाव और उन्हें खत्म करने के उपाय
आइए जानते है कि मन आ रही बुरे विचार को कैसे खत्म करें
मानव जीवन में मन का स्थान सर्वोपरि है। शास्त्रों में कहा गया है –
“मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।”
अर्थात् मन ही बंधन का कारण है और मन ही मुक्ति का साधन।
यदि मन शांत और शुद्ध हो तो जीवन आनंदमय हो जाता है, लेकिन यदि मन नकारात्मकता और बुरे विचारों से भर जाए तो इंसान भीतर से अशांत, दुखी और असंतुलित महसूस करता है।
आज के समय में लगभग हर व्यक्ति यह अनुभव करता है कि उसके मन में अनचाहे, नकारात्मक या बुरे विचार बार-बार आते हैं। यह सामान्य समस्या है, लेकिन इससे मुक्ति पाना भी संभव है। आइए समझते हैं कि ये विचार क्यों आते हैं, उनका असर क्या होता है और उनसे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।
1. बुरे विचार क्यों आते हैं?
मन में बुरे विचार आने के कई कारण होते हैं, जैसे –
(1) पुराने संस्कार और आदतें
मन वही सोचता है जो उसने बचपन से सीखा और देखा है। यदि जीवन का वातावरण नकारात्मक रहा है तो मन की प्रवृत्ति भी वैसी ही हो जाती है।
(2) संगति का प्रभाव
कहा गया है – “जैसा संग वैसा रंग।”
अच्छे लोगों की संगति से सकारात्मक विचार जन्म लेते हैं, वहीं बुरी संगति मन को दूषित करती है।
(3) मीडिया और सोशल मीडिया
आजकल टीवी, फिल्में और सोशल मीडिया हमारी सोच पर गहरा असर डालते हैं। हिंसक दृश्य, अश्लील सामग्री या नकारात्मक खबरें मन को गंदा करती हैं।
(4) खालीपन और आलस्य
जब इंसान के पास कोई अच्छा कार्य नहीं होता तो मन भटकने लगता है। यह भटकाव ही नकारात्मकता को जन्म देता है।
(5) क्रोध, ईर्ष्या और लालच
ये तीन दोष बुरे विचारों की सबसे बड़ी जड़ हैं। जब मन इनसे भर जाता है तो शांति खो जाती है।
2. बुरे विचारों का असर
यदि मन पर नियंत्रण न रखा जाए तो बुरे विचार जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं –
मानसिक शांति नष्ट हो जाती है।
चिंता, तनाव और बेचैनी बढ़ने लगती है।
आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है।
रिश्तों में दरार आ सकती है।
आध्यात्मिक उन्नति रुक जाती है।
यही कारण है कि मन की शुद्धि हर इंसान के लिए आवश्यक है।
3. बुरे विचारों को समाप्त करने के उपाय
(1) विचारों को दबाएँ नहीं, देखें
विचार को रोकने या दबाने की कोशिश न करें। उसे केवल देखें और समझें कि – “यह विचार है, मैं नहीं।” इस अभ्यास से विचारों की शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है।
(2) श्वास पर ध्यान (प्राणायाम)
गहरी सांस लेना, रोकना और धीरे-धीरे छोड़ना मन को तुरंत शांत करता है।
रोज़ सुबह 10 मिनट अनुलोम-विलोम करने से मानसिक स्पष्टता आती है।
(3) मंत्र-जप और नाम-स्मरण
नाम-जप मन की अशांति मिटाने का सबसे सरल साधन है।
“ॐ नमः शिवाय”
“हरे कृष्ण हरे राम”
“राम-राम”
इनके जप से नकारात्मकता स्वतः कम होने लगती है।
(4) सकारात्मक विचार भरें
मन खाली पात्र है। यदि इसमें अच्छे विचार, भजन, प्रेरक साहित्य और संतों के उपदेश भरेंगे तो नकारात्मकता के लिए जगह ही नहीं बचेगी।
(5) सत्संग और अच्छी संगति
सत्संग, प्रवचन, भजन और गीता-पाठ मन को निर्मल बनाते हैं। बुरी संगति से दूरी बनाना उतना ही आवश्यक है जितना अच्छी संगति को अपनाना।
(6) ध्यान (Meditation)
प्रतिदिन कुछ समय शांत बैठकर सांस या किसी मंत्र पर ध्यान लगाने से मन स्थिर होता है। शुरुआत में विचार भटकेंगे, लेकिन धीरे-धीरे नियंत्रण आने लगेगा।
(7) रचनात्मक और व्यस्त जीवन
खाली दिमाग में ही नकारात्मकता पनपती है। पढ़ाई, लेखन, कला, खेल या सेवा जैसे रचनात्मक कार्य मन को सकारात्मक दिशा देते हैं।
(8) स्वस्थ जीवनशैली
योग, व्यायाम, समय पर भोजन और नींद – ये मन और शरीर दोनों को संतुलित रखते हैं। वहीं नशा, अस्वस्थ खान-पान और आलस्य मन को और अस्थिर करते हैं।
(9) विचार बदलने की तकनीक
जैसे ही नकारात्मक विचार आए, तुरंत ध्यान दूसरी ओर मोड़ें।
भजन सुनें
प्रेरक पुस्तक पढ़ें
किसी की मदद करें
इससे मन का रुख बदल जाएगा।
(10) आत्ममंथन और क्षमा
खुद को बार-बार दोषी मानना भी बुरे विचारों की जड़ है। खुद को माफ करें, आत्ममंथन करें और हर गलती को सुधारने का अवसर मानें।
4. आध्यात्मिक दृष्टिकोण
शास्त्रों में कहा गया है –
“चित्ते वासनारूपी बीज हैं, साधना से ही जलते हैं।”
अर्थात मन में जो संस्कार और विकार हैं, वे साधना, जप और सेवा से ही मिटते हैं। राम, कृष्ण या शिव का नाम लेने से मन पवित्र होता है और आत्मा को वास्तविक शांति मिलती है।
मन में बुरे विचार आना स्वाभाविक है, लेकिन उन पर काबू पाना हर इंसान के बस में है।
यदि आप –
विचारों को देखने का अभ्यास करें,
मंत्र-जप और ध्यान अपनाएँ,
अच्छी संगति और रचनात्मक कार्य करें,
स्वस्थ दिनचर्या बनाएँ,
तो धीरे-धीरे नकारात्मक विचार दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाएंगे।

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